354/2023
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●©शब्दकार
● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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शिव शंकर की शुभ बृहत् जटा।
फैलातीं जग में नवल छटा।।
ध्यानावस्थित अवढर दानी,
छाई पर्वत पर तुहिन - घटा।
सेवा में रत नंदी निशि दिन,
लाते वन से नित खोज गटा।
शिव - नाम निरंतर भक्त जपें,
अनजाने में नर - नारि रटा।
उज्ज्वल प्रकाश तमहारी है,
तन - मन बसता अघ - ओघ हटा।
माता गौरी सुत कार्तिकेय ,
सँग में गणेश - सा पूत सटा।
गौरीशंकर परिवार 'शुभम्',
जो जपता उसका क्लेश कटा।
*गटा=कंद - मूल।
●शुभमस्तु !
14.08.2023◆5.15आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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