शनिवार, 12 अगस्त 2023

सोचा है क्या? ● [अतुकान्तिका]

 348/2023

 

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● ©शब्दकार

● डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कभी न कभी तो

नभचुम्बी गिरि पर

चढ़कर ऊपर

ऊँचे - ऊँचे

शृङ्गों पर

नशा चढ़ा होगा

तुमको भी,

सोचा है क्या ?


शिशु से बालक

फिर किशोर था,

यौवन के सोपान 

जा चढ़ा,

यौवन का भी

एक नशा था,

सोचा है क्या?


विद्या ,तन -बल,

धन - मद,

पद -मद,

बल-मद,

रूप ,बढ़ा कद,

इतराया तो होगा,

सोचा है क्या?


 बड़ा श्रेष्ठ कवि

भाषा ज्ञानी,

गिद्ध - समीक्षक,

धन का दानी,

नेता या अधिकारी!

पद सरकारी

सोचा है क्या?


'शुभम्' विवश है

कहने को तू

माँग समय की

ऐसी ही थी कुछ,

अब आया 

पहाड़ से नीचे

जान गया सब!


क्या पछताए 

अब होता है?

जब चिड़ियाँ 

चुग जाएँ

सारा का सारा

दाना -दुरका!

सोचा है क्या?


●शुभमस्तु !


11.08.2023◆ 5.45आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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