374/2025
[शाला,बस्ता,पोथी,कलम,पढ़ाई]
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सब में एक
शाला में जाकर करें,बालक नमन प्रणाम।
गुरुवर देते ज्ञान को,सिखलायें हरि नाम।।
विद्यालय शाला सभी, बड़े ज्ञान आगार।
खेलकूद होते वहाँ, सीखें सद आचार।।
लाद लिया है पीठ पर, बस्ता लेकर ग्रंथ।
शाला को बालक चले, सीखें ज्ञान सुपंथ।।
अलग-अलग बस्ता लिए, निकले घर से छात्र।
जो सहेज उनको रखे,वही ज्ञान का पात्र।।
पोथी में विद्या बसी, करना ही है प्रेम।
सश्रम उसे सहेजना, मिले ज्ञान का हेम।।
पोथी ज्ञानागार है, नहीं छुवाएँ पाँव।
भटकोगे तुम अन्यथा,नगर-नगर हर गाँव।।
अपनी -अपनी सब रखें,बालक कलम सँभाल।
लिखें वर्ण इमला सभी,करते हुए कमाल।।
डॉट जैल स्याही भरे,कलम रखें सब मित्र।
लिखें प्रश्न उत्तर सभी, सुघर सजीले चित्र।।
बिना पढ़ाई ज्ञान के, मानव है ज्यों ढोर।
पढ़ना है सश्रम हमें, रहें नहीं कमजोर।।
नहीं पढ़ाई जो करें, पछता बारम्बार।
कहते हम पढ़ते कभी, होते उच्च विचार।।
एक में सब
शाला में लेकर चलें, पोथी कलम दवात।
करें पढ़ाई लग्न से,बस्ता पीठ सुहात।।
शुभमस्तु !
26.07.2025●4.00प०मा०
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