381/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
देखो खड़ी सड़क पर टेरे
कचरे वाली गाड़ी।
कूड़ेदान उठाओ अपने
दौड़ो शीघ्र उँडेलो
नहीं अधिक वह खड़ी रहेगी
कचरा बाहर ठेलो
आगे - आगे बढ़ो बहन जी
रहना नहीं पिछाड़ी।
छिलके फल सब्जी के किंचित
एक न रहने पाए
रोटी सब्जी बची हुई तो
कचरे में क्यों जाए
पड़े न रहना घर के भीतर
पिए हुए तुम ताड़ी ।
अन्य किसी के दरवाजे पर
नहीं फेंकना कूड़ा
सिर के बाल गली में कोई
और न डालें जूड़ा
रखनी हरी- भरी हर क्यारी
छत पर ठाड़ी बाड़ी।
शुभमस्तु !
30.07.2025●12.30 प०मा०
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