बुधवार, 30 जुलाई 2025

कचरे वाली गाड़ी [ नवगीत ]

 381/2025


     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


देखो खड़ी सड़क पर टेरे

कचरे वाली गाड़ी।


कूड़ेदान  उठाओ   अपने

दौड़ो शीघ्र उँडेलो

नहीं अधिक वह खड़ी रहेगी

कचरा  बाहर ठेलो

आगे - आगे बढ़ो  बहन जी

रहना  नहीं पिछाड़ी।


छिलके फल सब्जी के किंचित

एक न  रहने पाए

रोटी सब्जी बची हुई तो

कचरे में क्यों जाए

पड़े न रहना घर के भीतर

पिए हुए तुम ताड़ी ।


अन्य किसी के दरवाजे पर

नहीं फेंकना कूड़ा

सिर के बाल गली में कोई

और न डालें जूड़ा

रखनी हरी- भरी हर क्यारी

छत पर ठाड़ी बाड़ी।


शुभमस्तु !


30.07.2025●12.30 प०मा०

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