382/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
पीत पिलपिला आम हुआ है
पक जाने के बाद।
रंग रूप रस प्रतिभा बदली
झुकी हुई है डाल
पल्लव पतित पीत सब होते
बदल गया हर हाल
बैठा कोई पथिक राह में
थक जाने के बाद।
पक्षी दल भी पास न आते
कोयल के स्वर दूर
सावन फागुन सभी एक-से
आम बड़ा मजबूर
कठिन शीत ने उसे छुआ है
चुक जाने के बाद।
मधुमासों में रंग बिखेरे
आए तितली भौंर
ले पराग उड़ गए सभी दल
बदल गया है दौर
नहीं उतरता ग्रास गले में
छक जाने के बाद।
शुभमस्तु !
31.07.2025●1.15 आ०मा०
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[6:09 am, 31/7/2025] DR BHAGWAT SWAROOP: 383/ 2025
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