गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

प्यार में खोई युवा जोड़ी [ गीत ]

 653/2025


        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


प्यार में खोई 

युवा जोड़ी

एकांत पल है।


फूल झरते 

पेड़ से 

अद्भुत समा है

घास में यों

प्यार का

आसन जमा है

एक दूजे 

के बिना 

पड़ती न कल है।


बेखबर 

जग से

स्वयं से हो गए हैं

पलक 

चारों बन्द हैं

ज्यों सो गए हैं

जिंदगी के

रूप का

ये भी अमल है।


साथ जीने

साथ मरने 

की कसम ले

बढ़ चले

उस राह पर

प्रण की रसम ले

बसता

हृदय में प्यार 

निर्मल गंग जल है।


शुभमस्तु !


28.10.2025●5.30 आ०मा०

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