605/2025
[अवध,वनवास,चित्रकूट,पंचवटी,जटायु]
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सब में एक
अवध पुरी में विष्णु ने,लिया राम अवतार।
बढ़ा धरा पर दानवी,क्रूर कर्म का भार।।
बजी बधाई अवध में, घर-घर फैली बात।
चैत्र मास नवमी सुदी , कौशल्या-सी मात।।
दानव-अत्याचार से ,ऋषि मुनि थे अति त्रस्त।
हुआ राम - वनवास तो,सब दानव थे पस्त।।
कैकेयी की बुद्धि को, दिया भारती फेर।
वचन हुए वनवास के, पल की लगी न देर।।
सियाराम वनवास के, बीते ग्यारह साल।
चित्रकूट शुभ धाम में, तप ने किया कमाल।।
चित्रकूट सिय राम की, तप की भूमि पवित्र।
अत्रि आदि ऋषि संत ने,निर्मित किया चरित्र।।
सिया राम वनवास में, पंचवटी वह ठौर।
रावण ने सीता हरी, बुद्धि हुई कुछ और।।
सूपनखा के कान दो, और साथ ही नाक।
पंचवटी में लखन ने, काट दिए बेबाक।।
गरुणवंश में गीध वह, जन्मा नाम जटायु।
लड़ा वही दशशीश से, क्षरण हुई खग आयु।।
दशरथ का खग मित्र भी,और राम का भक्त।
सीता - रक्षण में मरा, वह जटायु अनुरक्त।।
एक में सब
चित्रकूट - वनवास में,बसे अवध पति राम।
पंचवटी प्रख्यात है, खग जटायु शुभ धाम।।
शुभमस्तु !
05.10.2025●7.45आ०मा०
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