656/2025
©शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
साँपों का
सोने से सम्बंध
आजकल से नहीं
युग-युग से है,
सनातन है।
साँपों को सोने से प्यार है
सोना रक्षित और
साँप रक्षक हैं,
इसके लिए वे
कुछ भी कर सकते हैं,
मार और मर सकते हैं,
किंतु सोना
नहीं तज सकते हैं।
धरती में गाड़े हुए
बड़े-बड़े स्वर्ण -खजाने
बहुत ही पुराने
सर्प-रक्षित हैं।
सर्पों के लिए
सोने की कोई
उपयोगिता नहीं,
मात्र रक्षा का दायित्व है,
आदमी सर्प की आत्मा में
उसका निर्वाह कर रहा है।
साँप और सोना
आज भी हैं,
किसी का सोने से
पेट नहीं भरा अब तक,
भूख भी नहीं मिटी,
गड़ा रह गया सोना
एक रहस्य की तरह
ज़मीदोज़,
और साँप फन फैलाए
फुफकार रहे हैं।
शुभमस्तु !
29.10.2025 ● 9.00प०मा०
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