648/2025
समांत : अटे
पदांत : अपदांत
मात्राभार : 14.
मात्रा पतन :शून्य.
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मनस कभी तेरा उचटे।
रहे केंद्र पर नित्य डटे।।
बढ़े परस्पर प्रिय संवाद।
मेल एकता से न हटे।।
रीति सनातन भंग न हो।
उचित नहीं मनुजात बटे।।
कर्म प्रधान रहे जीवन।
रहें मनुज से मनुज सटे।।
मन में हो संकल्प प्रबल।
रहें जगत में छटे - छटे।।
एक रहें कथनी - करनी।
पल भर को मन नहीं घटे।।
'शुभम्' अहं से जो है दूर।
मानवता से नहीं कटे।।
शुभमस्तु !
27.10.2025●7.15 आ०मा०
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