633/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आओ खुली हुई
स्वागत को
देश धर्म की शाला।
भाई को चारा ही समझो
पंखहीन बेचारा समझो
जब चाहो तब काटो
सरकारी जमीन हथियाओ
राशन गैस मुफ़्त में पाओ
नित्य मलाई चाटो
कुछ भी करना रोक नहीं है
किंचित कण भर टोक नहीं है
फैला डालो जाला।
देव अतिथि है सभी मानते
गले लगाते बिना ज्ञान के
आओ सिर पर बैठो
जिस थाली में खाना खाओ
छेद करो पग से ठुकराओ
और बाद में ऐंठो
दुनिया में जो कहीं नहीं है
सुविधा साधन सभी यहीं है
फैला गड़बड़झाला ।
जो भी आया उसने चूसा
वैभव जन को डटकर मूसा
हम उदारतावादी
नंगे रहो उन्हें पहनाओ
सत्य अहिंसा के गुण गाओ
पहन देह पर खादी
छँटे हुए हैं मूढ़ यहीं पर
मिट जाएँ पर हिले नहीं कर
प्रतिबंधों पर ताला।
शुभमस्तु !
21.10.2025● 10.30 आ०मा०
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[12:17 pm, 21/10/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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