629/2025
©शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
यहाँ न कोई
रोक-टोक है
कोई भी आकर बस जाए।
शाला है यह
मात्र धर्म की
कोई भी प्रतिबंध नहीं है
होता है जो
भारत भू पर
दुनिया में वह नहीं कहीं है
आए
खाली हाथ मुसाफ़िर
तरह-तरह के सद रस पाए।
बनवाया
आधार कार्ड भी
झुग्गी बना बपौती पाई
मिले मुफ्त का
राशन पानी
और जुगाड़ी यहीं लुगाई
कोई बना
साधु संन्यासी
कोई डाके डाल सताए।
घुलमिल गया
यहाँ जनता में
कहता मैं तो भारतवासी
तिलक लगाया
रँगे गेरुआ
भीख माँगता बना उदासी
प्रश्न करो तो
तुम्हें फँसा दे
क्या सरकारी नियम बनाए?
शुभमस्तु !
20.10.2025●1.00प०मा०
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