642/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आ गया
सो आ गया
आकर यहीं का हो गया।
आया
नहीं था
लौट जाने के लिए
ढूंढता
निज आशियाना
बहुत पाने के लिए
मुफ्त खाया
चैन पाया
खाकर यहीं पर सो गया।
वेश बदला
भीख माँगी
गेरुआ में घुस गया
लूट चोरी
कर डकैती
देश सारा चुस गया
आधार
राशन कार्ड लेकर
पाकर सभी कुछ, खो गया।
पूँछ जो
पहले दबी थी
अब तनी है
जो दशा
पहले बुरी थी
अब बनी है
देखते रहना
हे स्वागती
आकर नहीं वह, लो गया !
शुभमस्तु !
25.10.2025●11.00आ०मा०
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