647/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
भेड़ों के रेवड़ को
कुत्ते
घेर खड़े हैं।
जो वे कहें
वही तुम करना
लीक न छोड़ें
दाना वहीं भरा
कूपों में
रुख मत मोड़ें
हाँक बड़ी
मजबूत
लगाते वहीं अड़े हैं।
दाना ही तो
लक्ष्य
मुफ्त का पाना इनको
मूँद आँख
सिर के बल चलतीं
जान न छल को
पैनाये निज
दंत
पहरुए बड़े कड़े हैं।
उच्चासन आसीन
श्वान के
दल बल भारी
बाँटें दाना
मुफ़्त
मेष दल की लाचारी
लेबल
सबके अलग
भक्ष्य में बढ़े -चढ़े हैं।
शुभमस्तु !
26.10.2025●3.45 प०मा०
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