सोमवार, 27 अक्टूबर 2025

धर्मशाला बन गया है देश [ नवगीत ]

 641/2025


       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


धर्मशाला

बन गया है

धर्म का ये देश।


बिना पूछे

जाति को

या धर्म को

आगमन का 

लक्ष्य क्या

संदर्भ को

बाँह फैलाए

खड़ा है

बेशर्म-सा ये देश।


'अतिथि 

देवो भव'

यही सत मंत्र है

इसलिए 

हर आगमन

स्व  तंत्र है

मुफ़्त

वितरण  को खड़ा

सद्धर्म का ये देश।


आगमन 

जिसका हुआ 

लौटा नहीं

गाड़ता है

ध्वज हरा

वह सब कहीं

सबको

समाहित कर रहा

अति नर्म -सा ये देश।


शुभमस्तु !


25.10.2025 ●10.15 आ०मा०

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