646/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
एक गधे की
कीमत
मित्रो तुम क्या जानो ?
एक नहीं
दो तीन लाख में
गर्दभ आते
दूध दे रही
भैंस गाय
वाले शरमाते
गधे हुए
अनमोल
सत्य यह मेरी मानो।
आज गधे
ऊपर हैं
नीचे और सभी हैं
अश्व हिनहिना रहे
अस्तबल
बड़ी गमी हैं
कौन पूछता
मेष अजा को
बड़ी न तानो।
समय-समय की
बात
फिरें घूरे के भी दिन
गधे हुए
सिरमौर
नहीं कर इतनी किनकिन
रोल्स-रॉयस बोट टेल का
स्वाद
सुना क्या अपने कानों?
शुभमस्तु !
26.10.2025●3.00प०मा०
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