626/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
चीथड़े
तन पर सजे हैं
आह फैशन ! वाह फैशन !!
देह
ढँकने के लिए ये
वस्त्र आभूषण नहीं हैं
नग्नता
ही लक्ष्य इनका
अंग - दर्शन ही यहीं है
ठिठुरते
तन के मज़े हैं
आह फैशन ! वाह फैशन!!
बेच खाई
हया लज्जा
नारियों ने आज अपनी
मान-मर्यादा
की न चिड़िया
अब उड़ेगी उच्च इतनी
पहने नहीं
तन पर गँजे हैं
आह फैशन ! वाह फैशन!!
जो दिखाई
दे न सबको
देह क्या तंबू तना है
कोण गोलाई
दिखें सब
वक्त की आराधना है
ढोर भी
इनसे भले हैं
आह फैशन ! वाह फैशन !!
शुभमस्तु !
19.10.2025●9.30 आ०मा०
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