मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

आह फैशन! वाह फैशन!! [ नवगीत ]

 626/2025


 


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


चीथड़े 

तन पर सजे हैं

आह फैशन ! वाह फैशन !!


देह 

ढँकने के लिए ये

वस्त्र आभूषण नहीं हैं

नग्नता

ही लक्ष्य इनका

अंग -  दर्शन ही यहीं है

ठिठुरते 

तन के मज़े हैं

आह फैशन ! वाह फैशन!!


बेच खाई

हया लज्जा

नारियों ने आज अपनी

मान-मर्यादा

की न चिड़िया 

अब उड़ेगी उच्च इतनी

पहने नहीं

तन पर   गँजे हैं

आह फैशन ! वाह फैशन!!


जो दिखाई

दे न सबको

देह क्या तंबू तना है

कोण गोलाई

दिखें सब

वक्त की आराधना है

ढोर भी

इनसे भले हैं

आह फैशन ! वाह फैशन !!


शुभमस्तु !


19.10.2025●9.30 आ०मा०

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