मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

धैर्य 🪔 [ मुक्तक ]


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✍️ शब्दकार ©

🪔 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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धैर्य     परीक्षा        नित   लेता  है,

मादा     खग       अंडे     सेता   है,

त्यों   ही   रख   विपदा   में  धीरज,

क्यों   न 'शुभम'   मानव  चेता है!१।


जो        मानव     धैर्य    नहीं  खोता,

विपदा    में     नहीं     तनिक  रोता,

मिलता   साफल्य     'शुभम' उसको,

सद्गति    के      बीज    वही  बोता।२।


जग -   निधि    में   उठती   हैं लहरें,

मिलतीं   जल     में    नदियाँ , नहरें,

बहतीं      जलधारें       धैर्य     धरे,

ज्यों     होतीं     गज़लों   की  बहरें।३।


स्वर्ण    आग     में    तप कर चमके,

रविकर     नभ    में      ऊपर  दमके,

धारण    किया    धैर्य    को  जिसने,

सुमन      कलीवत     उपवन महके।४।


जो    नर    परिश्रम    कर  पाता    है,

धैर्य      भानु      ही   सिखलाता    है,

नित्य     उदित    हो    वह   प्राची   से,

दिन   में   चढ़    ऊपर    जाता    है।५।


🪴 शुभमस्तु !


२१.१२.२०२१◆७.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।

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