■●■●■●■●■●■●■●■●■●
✍️ शब्दकार ©
💐 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
■●■◆■●■●■●■●■●■●■●
विदा करते हम सन इक्कीस,
प्रतीक्षा बाइस की है तेज।
झुके हैं विनत हमारे सीस,
रखी हैं घड़ियाँ सुखद सहेज।।१।
सभी जन-जन का हो कल्याण,
'शुभम' गाता है स्वागत गान।
मिले मानवता को नित त्राण,
करें प्रण पूरा लें जो ठान।।२।
करें वंदन अभिनंदन आज,
हाथ में लें सुमनों के हार।
श्रेय हो तुमको प्रति शुभ काज,
मुदित हों भारत के नर - नार।।३।
समय की कीली रुके न लेश,
घूमता उसके सँग संसार।
मिटें मानव के सारे क्लेश,
निरोगी जन बाँटें शुभ प्यार।।४।
सुनहरी शांत सुखद हो भोर,
नहीं हो मन में कोई चोर,
विमल गंगा की 'शुभम' हिलोर,
बनाए पावन तन के पोर।।५।
🪴 शुभमस्तु !
२७.१२.२०२१◆४.१५
पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें