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समांत:आने।
पदांत:लगे।
मात्राभार:20.
मात्रा पतन: *.
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✍️ शब्दकार©
🌅 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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नित्य प्रति व्याधजी गाँव आने लगे
दौने भर -भर काजू लुटाने लगे
मुर्गियाँ तेज मुर्गे चले झुंड में
दौड़ते - झूमते भोज खाने लगे
भीड़ देखो लगी खेत, मैदान में
मतमंगे प्रजा को रिझाने लगे *
देखा नहीं है गाँव - गोरू कहाँ *
आज चारा उन्हीं को खिलाने लगे
आँख से आँख जो तब मिलाते न थे
'शुभम' देख हमको मुस्कराने लगे
🪴 शुभमस्तु !
१३.१२.२०२१◆६.१५आरोहणं मार्तण्डस्य।
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