रविवार, 19 दिसंबर 2021

ग़ज़ल 🪑

 

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✍️ शब्दकार ©

🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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कीचड़ -फेंक सियासत देखो।

झपटी  हुई  रियासत  देखो।।


नियम वही जो हम कहते  हैं,

समझें दत्त   विरासत   देखो।


अपना ही चलता है  सिक्का,

बचनी नहीं   हिकारत  देखो।


इस आलय के  हम  निर्माता,

उठती  सजी   इमारत  देखो।


हम   इतिहास   बनाते  अपना, 

कंचन लिखित इबारत देखो।


हमने ही  गढ़  महल   बनाए,

बदला  अपना  भारत  देखो।


'शुभम' हमें  भगवान कहेगी,

जनता पीड़ित  गारत  देखो।


🪴 शुभमस्तु !


१९.१२.२०२१◆ ४.४५

पतनम मार्तण्डस्य।

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