गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

रूप - महिमा 💎 [ अतुकान्तिका ]

  

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✍️ शब्दकार©

💎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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रूप की महिमा

अति विशिष्ट अद्भुत

प्रकृति का ऋत,

आवश्कता मात्र

गहन अवगाहन की

शोध के आवाहन की

सागर के आचमन की।


'रूपा'(रजत)

विशिष्ट मूल्य की 

वाहक,

बन गई कहलाई

जीवंत 'रुपया' ,

सदा -सदा के लिए

धन का प्रतीक,

सोता रह गया सोना,

यद्यपि बहुमूल्य है सोना!


भगवान के दशावतार

रूप ही तो हैं,

माँ दुर्गा के नव रूप

रूप ही तो हैं,

सहस्र नाम,

 योगेश्वर कृष्ण हों

या पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम,

विविध आयाम,

नमन वंदन उनको प्रणाम।


गुण कर्म की 

अपार महिमा,

विविध रूप दायिनी,

बढ़ाती हुई 

महिमावली,

विरुदावली,

तुलसी के सँग

रत्न हुई रत्नावली,

कालिदास से

 उपकृत हो गई

विद्योत्तमा,

श्रीराम के सँग

भक्त हनुमान।


आइए 'शुभम'

हम सब मिल

करें

जीवन के सागर में

 गहन अवगाहन,

खोजें मृत्तिका  में 

सोना,

कोयले की खान में

हीरा,

मानव के उर में

छिपी हुई दिव्यता को,

बढ़ाते हुए अविरत

अहर्निश।


🪴 शुभमस्तु !


०३.१२.२०२१◆४.५५आरोहणं मार्तण्डस्य।

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