सोमवार, 27 दिसंबर 2021

महारास लीला 🦚 [ महाशृंगार ]

 

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छंद विधान:---

१.सम मात्रिक छंद।

२.चार चरण।

३.कुल मात्राभार 64। 16,16,16,16 पर यति।

४.चरणान्त द्विकल औऱ ट्रिकल से।

५.चरण 1,3 व 2,4 समतुकांत।

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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सुनी  मुरली  की  मोहक  टेर,

छोड़कर  दौड़ीं  अपने   गाँव।

नहीं  की  गोपी  दल  ने   देर,

पंख से  उड़ते  जाते पाँव।१।


बीच   में    बैठे   राधे   श्याम,

खड़ीं  गोपी  गातीं  थी  गीत।

हुई   अँधियारी   प्यारी  शाम,

श्यामराधा की गोपी मीत।२।


दूर  चरतीं थीं   वन   में  गाय,

रँभाते   बछड़े   चारों    ओर।

दौड़कर आतीं    धेनु  रँभाय,

संग में करें शोर  बहु  ढोर।३।


नाचते  गोपी दल   को   देख,

खड़े भौंचक -  से   बेलें  पेड़।

गान नर्तन  में  मीन  न  मेख,

वानरी को कपि देते   छेड़।४।


शमी के  पादप   कुंज करील,

बनाते  मधुर   रम्य     एकांत।

शून्य  में  उड़तीं ऊपर  चील,

'शुभम'कमनीय कांत वन शांत।५।


🪴 शुभमस्तु !


२७.१२.२०२१◆२.००

पतनम मार्तण्डस्य।

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