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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
पूरे जब हो जाते सपने,
लगते हैं तब सब ही अपने,
सपनों को यदि करना पूरा,
जीवन में लग जाएँ तपने।
-2-
सोने में जो देखे सपने,
कभी नहीं वे होते अपने,
खुली आँख से चलते -फिरते,
जो देखें वे सच्चे सपने।
-3-
सपने उनके रंग - बिरंगे,
देख रहे सपने मतमंगे,
ऊँची कुर्सी दिखती उनको,
काम किए यद्यपि बदरंगे।
-4-
सपनों का संसार निराला,
सुख-दुखअमृत विष का प्याला,
हँसना, रोना, नभ में उड़ना,
लाल, हरा, पीला, सित, काला।
-5-
जो पूरे हों देखें सपने,
'शुभम' बनाया मानव तप ने,
साधक बनकर करें साधना,
लख बाधाएँ लगें न कँपने?
🪴 शुभमस्तु !
१४.१२.२०२१◆५.३०आरोहणं मार्तण्डस्य।
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