शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

हमारा भारत ☘️ [ बाल कविता ]


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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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अद्भुत  अनुपम     भारत प्यारा।

बहती       पावन     गंगा   धारा।।


यमुना    सरयू   नित   बहती  हैं।

कलरव    वे   करती    रहती हैं।।


उत्तर   में   हिमगिरि    है   प्रहरी।

झीलें   जिसमें      शीतल  गहरी।।


हिंद    महासागर      दक्षिण    में ।

 बसते   ईश्वर  हर  कण - कण में।।


मैदानों       में       फ़सलें      झूमें।

पवन   बालियों     के     मुख  चूमें।।


गेहूँ,      चना,         धान   लहराते।

नाच     रहे         लगते    मदमाते।।


वेश     अनेक      रूप    रँग   वाले।

नर -  नारी       हैं         बड़े निराले।।


सबको    लगती        हिंदी  प्यारी।

यद्यपि      हैं       भाषाएँ    न्यारी।।


षट    ऋतुओं     का   देश हमारा।

अपना  भारत     जग    से न्यारा।।


हम   करते      नित   भारत वंदन।

महके  'शुभम'     हवा    में चंदन।।


🪴 शुभमस्तु !


०३.१२.२०२१◆७.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।


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