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✍️ शब्दकार©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कह रहे सब देश ऐसा चाहिए।
भूलते कब देश ऐसा चाहिए।।
कर्म करने के लिए क्या आएगा,
कौन वो तब देश ऐसा चाहिए।
'चाहिए' का अर्थ है किसके लिए,
कैसा ये ढब देश ऐसा चाहिए।
कर्म खुद करते नहीं बस 'चाहिए',
है लगी दव देश ऐसा चाहिए।
हाथ से करके दिखाता है 'शुभम',
है वही रब देश ऐसा चाहिए।
🪴 शुभमस्तु !
१९.१२.२०२१◆ ५.४५
पतनम मार्तण्डस्य।
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