[ तुलसी,नीम,गिलोय,पीपल,वृक्ष ]
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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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🪴 सब में एक 🪴
बिरवा तुलसी का लगा,पावन करिए धाम।
नित पूजा उसकी करें,सफल करे सब काम।
तुलसी गुण-भंडार है,अपनाएँ सब नित्य।
पौधा छुएँ न रात में,छुएँ उदित आदित्य।।
कटु हूँ गुणकारी सदा,कहलाता मैं नीम।
इसीलिए कहते मुझे, घर का नीम हकीम।।
गुणकारी मधुमेह में,मीठा नीम अचूक।
रक्तचाप नियमित करे,रहता है ये मूक।।
काढ़ा बेल गिलोय का,ज्वर से रखता दूर।
लता अमृता भी कहें, बहुगुण से भरपूर।।
औषधि आयुर्वेद की,होती लता गिलोय।
चढ़ी नीम के पेड़ पर,अमृत देती बोय।।
ऑक्सीजन दिन-रात दे,पावन पीपल नित्य।
होता ईश निवास भी,'शुभम' सत्य साहित्य।।
फल जैसा शहतूत का,छोटी पीपल नेक।
करे निरोगी दूध में, करती स्वस्थ हरेक।।
वृक्ष जीव हैं मनुजवत,करें न उनकी हानि।
तरु -रक्षा नित ही रखें,मानव-मानव कानि।।
देते हैं फल वृक्ष ये, उन्हें न पत्थर मार।
तरु, वन नहीं उजाड़ तू,जीवन के आधार।।
🪴 एक में सब 🪴
तुलसी, नीम, गिलोय सब,
जन हितकारी वृक्ष।
पल -पल पीपल दल हिले,
करता पावन कक्ष।।
🪴 शुभमस्तु !
२९.१२.२०२१◆८.००आरोहणं मार्तण्डस्य।
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