बुधवार, 1 दिसंबर 2021

राधा के प्रिय श्याम 🏕️ [ कुंडलिया ]

 

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✍️ शब्दकार©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                        -1-

वंशी कटि में खोंसकर,चले जा   रहे  श्याम।

पीली कछनी काछ ली,छवि पावन अभिराम

छवि पावन  अभिराम,गोपियाँ  राधा  आईं।

घेर खड़ीं चहुँ ओर, राधिका जी   मुस्काईं।।

'शुभम'  नैन से नैन, मिले हँसते  हरि अंशी।

वन करील की कुंज, बजाई मधुरिम वंशी।।


                        -2-

बजती  वंशी श्याम की,यमुना जी  के  तीर।

गोप -गोपियाँ नाचतीं,उड़ता लाल  अबीर।।

उड़ता लाल अबीर,खेलते मिलजुल  होली।

मधुर राधिका  बोल,भरे सुमनों की  झोली।।

'शुभम'कुंज की ओट,सहेली ढँग से सजती।

रोक न कोई टोक,श्याम की वंशी  बजती।।


                        -3-

गोरी भोरी राधिका,नटखट नटवर श्याम।

भ्रू -भाषा में बोलते,वाणी  मौन  ललाम।।

वाणी मौन ललाम,समझ कोई क्यों पाए।

योगेश्वर जगदीश,अधर  युग में   मुस्काए।।

'शुभम'मनोहर रूप,देखती ब्रज की छोरी।

देखें  तिरछे   नैन,  राधिका भोरी   गोरी।।

                      

                         -4-

राधा  बरसाने   बसें,  नंदगाँव  में   श्याम।

उर राधा के श्यामघन,श्याम हृदय में वाम।

श्याम हृदय में वाम,वही वृषभानु   कुमारी।

दर्शन बिना उदास, नयन में मंजु   खुमारी।।

'शुभम' लिया जब नाम,गई मिट सारी बाधा।

आधे हैं घनश्याम,बिना  निज प्यारी  राधा।।


                        -5-

राधा - राधा   नित जपें,रहे न बाधा    एक।

छवि उनकी उर में बसे,शेष न हो अविवेक।।

शेष न हो अविवेक, श्याम सँग में  हैं  आते।

करते कृपा अपार,सकल अघ ओघ नसाते।

'शुभम' ईश अवतार,नाम जप जिसने साधा।

पल-पल रहते साथ,श्याम सँग सजनी राधा।


🪴 शुभमस्तु !


०१.१२.२०२१◆८.००पतनम मार्तण्डस्य।

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