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समांत : आन।
पदांत: नहीं है।
मात्राभार : 16
मात्रा पतन: नहीं।
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✍️ शब्दकार ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अँगुली चार समान नहीं हैं
ये कोई अपमान नहीं है
काम सभी का बँटा हुआ है
कोई भी अनजान नहीं है
तिलक लगाता सुघड़ अँगूठा
क्या उसकी पहचान नहीं है
दिखलाती तर्जनी दिशाएँ
न्यून मध्यमा मान नहीं है
अनामिका पहनती अँगूठी
दिखलाती अभिमान नहीं है
कनिष्ठिका है सदा सहायक
कम इसका सम्मान नहीं है
'शुभम' मुष्टिका बने एकता
तुमको क्या ये ध्यान नहीं है
🪴 शुभमस्तु !
२७.१२.२०२१◆९.४५
आरोहणं मार्तण्डस्य।
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