रविवार, 19 दिसंबर 2021

चाय का प्याला ☕ [ बालगीत ]

 

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✍️ शब्दकार ©

☕ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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गरम  चाय  का  हूँ  मैं प्याला।

सर्दी  दूर     भगाने     वाला।।


डंडी     थामे     मुझे   उठाते।

होंठों से  तब   मुझे   लगाते।।

लाल -हरा  रँग  गोरा- काला।

गरम  चाय का हूँ मैं  प्याला।।


सहन  चाय की गरमी करता।

कोई  चाय गरम जब भरता।।

करता  मैं  उपकार   निराला।

गरम  चाय का हूँ मैं प्याला।।


माँ कहती तुम चाय न पीना।

निकलेगा फिर तुम्हें पसीना।।

दूध  पियो  रे लाली-  लाला!

गरम  चाय का  हूँ मैं प्याला।।


दादी   मुझमें   काढ़ा   पीती।

कहता  हूँ   मैं अपनी बीती।।

दादा जी को  भी  दे   डाला।

गरम  चाय का हूँ मैं प्याला।।


अम्माजी  ने  कॉफी  डाली।

ले- ले चुस्की पिएँ निराली।।

पीते 'शुभम' ग्रीन- टी वाला।

गरम  चाय का हूँ मैं प्याला।।


🪴 शुभमस्तु !


१८.१२.२०२१◆८.००आरोहणं मार्तण्डस्य।


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