मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

जिजीविषा 🧑‍🎓 [ महाशृंगार ]

 

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छंद विधान:---

१.सम मात्रिक छंद।

२.चार चरण।

३.कुल मात्राभार 64। 16,16,16,16 पर यति।

४.चरणान्त द्विकल औऱ ट्रिकल से।

५.चरण 1,3 व 2,4 समतुकांत।

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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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फ़टे   कपड़े  बचपन  ने धार,

किया  है  विद्यालय  प्रस्थान।

गरीबी की पड़ती   नित  मार,

लगन  शिक्षा की है छविमान।१.


ओढ़कर  बोरी  का  तिरपाल,

बगल में    दाबे   पट्टी   एक।

गाँव का  प्यारा - सा  गोपाल,

करेगा  भावी  को  शुभ नेक।२.


झाँकती   देह  वसन के  बीच,

कहाँ  गणवेश  गात  पर एक!

खिलेगा कमल महकता कीच

लगी  है  उर  में   ऐसी   टेक।३.


नहीं बस  उसके वश की बात,

चल  पड़ा  पैदल  ही   स्कूल।*

लगे   नंगे    पाँवों   में    घात,

नहीं  करता  जाने   की भूल।४.


झाड़ियाँ  खड़ीं सघन चहुँ ओर,

राह   में   कंकड़ - पत्थर  खूब।

चला  है  बालक    होती  भोर,

'शुभम' मिल भी  जाती  है दूब।५.


*मात्रा पतन।


🪴 शुभमस्तु !


२८.१२.२०२१◆८.४५

आरोहणं मार्तण्डस्य।

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