427/2022
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छंद विधान:
1. 7 भगण($II ×7) + गुरु ।
2. 10,12 पर यति।
3.चार चरण सम तुकांत।
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
कातिक मावस की करते,
हम आस दिवारि दिया दमकें।
द्वार सजें सिग झालर तें,
नव जोति पटाखनु की चमकें।।
खील खिलौननु पूजत हैं,
सुत गौरि गणेश रमा सबकें।
भीजि उठें धन - वृष्टि चहें,
बिन काम रहें धन की धमकें।।
-2-
आजु चलौ ब्रज गामनि में,
घर -द्वारनु पै शुभ दीप जलें।
आवत जाउ सखा सिगरे,
अँधियार भयौ हुशियार चलें।।
स्याम सुझाइ रहे सबकूँ,
शुचि काजनु के फल जाइ फलें।
जो न करें जग में शुभता,
अपने - अपने सिग हाथ मलें।।
-3-
दीप जराइ उजास भरौ,
अँधियार कहूँ नहिं शेष रहै।
होइ प्रदूषण जौ घर में,
सिग देंइ बुहारि अकूत दहै।।
कोइ रसायन माहुर है,
भरि डारि सरोवर नीर बहै।
कौन जु मूरख मानुस यों,
दुरवास सड़ाँधनु पाइ सहै।।
-4-
जाइ नदी तट पै विहरें,
बहु दीपनु माल तरंग बहै।
आजु दिवारि बुलाइ रही,
नटनागर गोपिनु सों जु कहै।।
वीचिनु बीच बहे तिरतौ,
इक पंकज राधिक देह लहै।
सूँघत होसु न स्याम रहौ,
जब बोलत कीरनु दाह दहै।।
-5-
स्याम चढ़े तरु - शाखनि में,
जमुना तट एक कदंब रहै।
न्हाइ रहीं तहँ गोप - जनी,
बिन चीर धरे बतराति अहै।।
नीक नहीं बिन चीर यहाँ,
खग, वानर या नर देखत है।
है न हया तुमकूँ इतनी,
यह बोध न और तुम्हें बकहै।।
🪴 शुभमस्तु !
18.10.2022◆11.00आरोहणम्
मार्तण्डस्य।
मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022
स्याम दीवाली दीप तरंग [मदिरा सवैया]
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