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🪴 शब्दकार ©
👫 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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कार्तिक मावस बाद जो,आती है शुभ दूज।
यमुना यम से माँगती, रक्षा- वर यम पूज।।
भैया के सम्मान में,तिलक लगाती भाल।
बहना करती भावना,दीर्घ आयु हो लाल।।
भ्राता-भगिनी एक सँग,करते 'शुभम्' नहान।
यमुना-जल में नेह से,यम देते अति मान।।
भारत सँग नैपाल में, हिन्दू पर्व महान।
कहते भैया दूज हम,भगिनी भ्रात सुजान।।
रवि-संतति यमुना नदी,भ्राता अग्रज नेह।
यम करते वादा अटल,तनिक नहीं संदेह।।
कौन बहिन निज बंधु का,नहीं चाहती त्राण।
अंत समय यमराज जी,पीड़ित करें न प्राण।
हतभागिनि भगिनी वही,जिसे न भ्राता- नेह।
आजीवन दुखिया रहे,मिले अंत पथ खेह।।
🪴 शुभमस्तु!
26.10.2022◆11.45 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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