शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

दो - दो चाँद 🌝 [अतुकान्तिका ]

 411/2022

    

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✍️ शब्दकार ©

🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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दो  -  दो  चाँद 

सामने मेरे,

एक धरा पर

एक गगन में,

बहुत मगन मैं।


अर्द्धांगिनि मैं

निज प्रीतम की,

निशिदिन  की

हर क्षण - क्षण की,

करूँ प्रार्थना

तुझसे अनुनय ,

चाँद गगन के

यही कामना मेरी 

मेरा प्रीतम चाँद ,

छाया बन मैं 

रहूँ साथ उसके

आजीवन।


प्रिय के नेह - दीप में

जलती ,

बाती बन कर 

जीवन संगिनि मैं

दे रही उजाला,

कभी न आए

अमावस्या ,

सफल बने मेरी

त्याग तपस्या।


करवा की ऐ!

चौथ माता,

मन मेरा

तेरे गुण गाता

तुझको ध्याता,

एक वर्ष में

एक दिवस ही

ऐसा आता,

मुझे सुहाता।


हे अम्बर के चाँद!

स्वस्थ सदा ही रहे

मेरा सुहाग,

मिले उसको 

दीर्घायु का वरदान,

करूँ मैं तुझको

अपने सुख का दान,

'शुभम्' तू  

कितना महान।


🪴 शुभमस्तु!


13.10.2022◆करवा चौथ◆ 11.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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