रविवार, 16 अक्तूबर 2022

बोया कैसा बीज 🎋 [ गीतिका ]

 415/2022

 

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मनमानी    की     ठानी     है।

घर  -  घर   खींचातानी    है।।


संतति     चले   कुराहों    पर,

सूखा    दृग  का   पानी     है।


बोया   कैसा      बीज     बुरा,

कँदुआ      कारस्तानी       है।


तब  तो  एक    विभीषण  था,

अब    घर -  घर में   घानी  है।


उर  में     आँसू     की    बाढ़ें,

जनक   -  लाज   मुरझानी है।


लखन   भरत   अब  सपने हैं,

खल  की  खाज  खुजानी  है।


'शुभम्' पूज्य  अब के रावण,

नहीं  राम     की   बानी    है।


🪴 शुभमस्तु !


16.12.2022◆10.45 आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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