४०५/२०२२
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समांत:आन।
पदांत:करें।
मात्राभार :16.
मात्रा पतन: शून्य।
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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सबके शुभ का संधान करें।
अपने गुरुजन का मान करें।।
सबके सुख की नित चाह बढ़ी।
सुख का जन - जन को दान करें।।
यह सकल विश्व परिवार एक।
बस मानवता का गान करें।।
जग नरक - स्वर्ग है हमसे ही।
क्षण - क्षण को नया विहान करें।।
मत सोचें बुरा किसी का हो।
हो भला सभी का ध्यान करें।।
देने वाला ही पाता है।
है पात्र कौन पहचान करें।।
तन - मन से 'शुभम्' सदा करना ।
आजीवन शुभता - पान करें।।
🪴शुभमस्तु !
10●10●2022◆6.15 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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