408/2022
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✍️ शब्दकार ©
🪔 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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सभी आ रहे एक द्वार से,
कौन बड़ा या छोटा!
जातिभेद ने मानवता का,
निश्चय नाश किया है।
ठगे गए जो रहे निरक्षर ,
जी भर रक्त पिया है।।
पढ़े -लिखे सब सबल जनों का,
आरक्षित ज्यों कोटा।
आध्यात्मिक ज्ञान सभी को,
मिले यही है कहना।
मानव पर मानव का शासन,
दुख पाकर क्यों सहना??
दूध पिए गागर भर कोई,
उसे न जल का लोटा।
देता खून चिकित्सक कोई,
जातिभेद को भूला!
चौकी पर बैठा ऊँचा बन,
झूल रहा सुख-झूला।।
रक्षा करता है नित तेरी,
क्षत्रिय लेकर सोटा।
🪴 शुभमस्तु !
12.10.2022◆1.45 प.मा.
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