392/2022
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम् '
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मातु शारदे ! उर बस जाओ।
कवि - भावों में शुचि रस लाओ।।
शब्द - शब्द हो जन हितकारी,
मंगलकारी जस बरसाओ।
'शुभम्' तुम्हारा नन्हा साधक,
वीणा उसको सरस सुनाओ।
सबका हो कल्याण निरंतर,
स्मिति से जन - जन हँसवाओ।
हों नीरोग जगत के प्राणी,
शांति - सुधा माँ बन अस आओ।
विश्वा, महाबला , माँ वसुधा,
रमा, परा, वरप्रदा सजाओ।
शिवा , वैष्णवी, हे ब्रह्माणी !
शुभदा 'शुभम्' सु-पद बैठाओ।
🪴शुभमस्तु!
01.10.2022◆5.15 आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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