रविवार, 16 अक्तूबर 2022

सफल है जीवन उसका ⛲ [ गीतिका ]

 414/2022


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✍️शब्दकार ©

⛲ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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निधि      में    मिलती   बहते  -  बहते।

नदी      विहँसती       कहते  -  कहते।।


पर्वत     का       घर       छोड़ निरंतर,

पथ     पर     चलती     सहते - सहते।


आती          हैं       बाधाएँ    अनगिन,

जिनगी        गलती       दहते  - दहते।


मिलता        है      गंतव्य    उसी  को,

श्रमता      फलती      लहते  -  लहते।


'शुभम्'    सफल    है   जीवन  उसका,

विपदा       टलती      सहते  -  सहते।


🪴 शुभमस्तु !


16.10.2022◆7.45 आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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