शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

यह सकल विश्व परिवार एक🌳 [ गीतिका ]

 405/2022

 

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सबके          शुभ         का    संधान    करें।

अपने        गुरुजन         का    मान   करें।।


सबके      सुख     की    नित चाह      बढ़ी,

सुख     का   जन - जन    को  दान    करें।।


यह         सकल    विश्व    परिवार     एक,

बस     मानवता         का     गान      करें।।


जग       नरक  -   स्वर्ग     है  हमसे    ही,

क्षण    -  क्षण     को    नया  विहान  करें।।


मत     सोचें     बुरा     किसी   का     हो,

हो      भला     सभी     का    ध्यान   करें।।


देने           वाला          ही    पाता       है,

है        पात्र      कौन     पहचान       करें।।


तन    -  मन    से   'शुभम्'   सदा   करना ,

आजीवन            शुभता   -  पान      करें।।


🪴शुभमस्तु !


10●10●2022◆6.15  आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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