सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

ईश तुम्हें हम कैसे जानें 🪂 [ बालगीत ]

 423/2022


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✍️ शब्दकार ©

🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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ईश  तुम्हें   कैसे   हम   जानें!

धरती पर  रह  कर पहचानें!!


सूरज बन तुम सुबह सजाते।

संध्या  को छिप हमें सुहाते।।

निशि  में  चंद्र  चाँदनी  तानें।

ईश  तुम्हें   कैसे  हम  जानें!!


तुम्हीं हवा  हो ,धरती , पानी।

रोटी  सब्जी   तुम्हें  पकानी।।

बनकर आग  ईश  हम  मानें।

ईश   तुम्हें  कैसे  हम  जानें!!


पेड़ों  पर फल बन कर आते।

मीठे   आम,   पपीते   भाते।।

अंगूरों   में  रस   की   खानें।

ईश  तुम्हें   कैसे   हम  जानें!!


तुम अम्मा   के   दूध   हमारे।

रूप  पिता के   तुम्हीं  दुलारे।। 

जिनके कंधे  चढ़  सुख छानें।

ईश  तुम्हें  कैसे   हम  जानें!!


रूप  तुम्हारा   कभी न देखा।

झूठा   सब   ग्रंथों का लेखा।।

कविजन'शुभम्' देश के भानें।

ईश  तुम्हें  कैसे    हम  जानें!!


🪴शुभमस्तु !


17.10.2022◆12.15 

पतनम मार्तण्डस्य।

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