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✍ शब्दकार ©
🏕️ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आतीं जब भीगी बरसातें,
कटतीं कठिनाई से रातें,
पता न कब सूरज ढलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
टप-टप टपके छप्पर छानी,
कच्ची छत से रिसता पानी,
भीगे वसन बहुत खलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
हम बच्चे तब खूब नहाते,
दौड़ गली में धूम मचाते,
छप छप कर पथ पर चलते हैं
आओ चलो गाँव चलते हैं।
खेत भरे पानी से सारे,
टर्र - टर्र निशि ताल किनारे,
नहीं भेक -स्वर तब खलते है,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
भीगी लकड़ी ईंधन सारा,
उपले गीले नहीं सहारा,
चूल्हे नहीं शीघ्र जलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
मेंड़ खेत की जब हम जाते,
मकिया गगनधूर हम लाते,
वीरबहूटी छू खिलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
सुस्त केंचुआ चपल गिजाई,
आँगन खेत गली में छाई,
वाहन जिन्हें रोज दलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
सक्रिय सभी किसान खेत पर
दगरे में हैं घास रेत पर,
जिससे गाय , भैंस पलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
आम नीम नित नीर नहाते,
हम कागज की नाव बहाते,
जामुन आम खूब फलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
नाली ,नाले भर -भर चलते,
धारासार पनारे गिरते,
नाले नदियों से मिलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
तेज झकोरे जब आते हैं,
घर में अपने घुस जाते हैं,
आपस में सब जन रलते हैं,
आओ चलो गाँव चलते हैं।
💐शुभमस्तु !
03.05.2020 ◆11.30 पूर्वाह्न।
www.hinddhanush.blogspot.in
*रलते हैं=घुलमिल जाते हैं।
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