शुक्रवार, 1 मई 2020

मजदूर दिवस पर विशेष ⛏️🛠️ ग़ज़ल🛠️⛏️


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✍ शब्दकार©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जिन हाथों ने  सहज बनाया।
वह ही ताजमहल कहलाया।।

मजदूरों  के   हाथ  काटकर ,
मन क्या तेरा बहल न पाया?

स्मृति   रंगी     लाल लोहू से,
अबलाओं पर कहर है ढाया।

मजबूरों  का  चैन   छीनकर,
डूबा, अपना  चहल  मनाया।

अपना नाम जहाँ चमकाकर,
कर्मवीर पर रहम  न आया?

जिस्म-पसीने का क्या अहसाँ
उनका  कौशल  नहर बहाया।

ख़ुदगर्जी यह 'शुभम'शाह की,
गर्म लहू की   नहर  नहाया।।

💐 शुभमस्तु !

01.05.2020◆12.45 अप.

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