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✍ शब्दकार ©
🍑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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गर्मी आई ! गर्मी आई!!
स्वाद भरी सौगातें लाई।
बाड़ी में महके- ख़रबूज़े।
लाल शहद - से हैं तरबूजे।।
खीरा ककड़ी खूब सुहाई।
गर्मी आई ! गर्मी आई!!
ठंडी आइसक्रीम है भाती।
मुन्ना खाता मुन्नी खाती।।
ठेले की ध्वनि पड़ी सुनाई।
गर्मी आई ! गर्मी आई।।
खुशबूदार संतरे आए।
अंगूरों के ढेर लगाए।।
लीची मधुर स्वाद भर लाई।
गर्मी आई ! गर्मी आई!!
पीले खट्टे - मीठे आम।
लाते हैं पापा हर शाम।।
लँगड़ा चौसा दशहरिआई।
गर्मी आई ! गर्मी आई!!
कभी - कभी आँधी आ जाती।
हरे टिकोरे धरा गिराती।।
खट्टी - मीठी लौजी भाई।
गर्मी आई ! गर्मी आई!!
ठंडी - मीठी लस्सी भाती।
माँ जी मेरी रोज़ बनाती।।
दही छाछ की करें पिलाई।
गर्मी आई ! गर्मी आई!!
चलें आम की शीतल छाया।
देखो बौर नीम पर आया।।
अमरबेल कीकर पर छाई।
गर्मी आई! गर्मी आई!!
🙏 इति शुभम।
💐 शुभमस्तु !
10.05.2020 ◆6.45 अप.
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