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✍ शब्दकार ©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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झाड़ू में गुण बहुत हैं,
रखिए सदा सँभाल।
दिखे न सबकी दृष्टि से,
करती बहुत कमाल। ।
करती बहुत कमाल,
संपदा कहलाती है ।
रखती घर को साफ,
प्रगति घर में लाती है।।
'शुभम' विकट हथियार,
नशा हो हिरन, पछाड़ू।
दुश्मन भागे दूर,
हाथ में हो यदि झाड़ू।।1
लानी हो बाजार से,
यदि झाड़ू घर एक।
मंगल शनि या दिन अमा',
ये हैं शुभ दिन नेक।।
ये हैं शुभ दिन नेक,
समृद्धि सुख घर में लाती।
दोषमुक्त कर धाम,
संपदा को बरसाती।।
झाड़ू जाए टूट,
अमा' शनि को फिंकवानी।
गुरु औ' शुक्र निषेध,
'शुभम' शुभ दिन ही लानी।।2
टूटे झाड़ू को कभी,
करना नहीं प्रयोग।
घर में आएँ आपदा,
बढ़ते संकट रोग।।
बढ़ते संकट रोग,
टूटकर कूड़ा करती।
सुख समृद्धि की हानि,
शांति घर भर की हरती।।
ऊर्जा अशुभ अबाध,
भाग परिजन के फूटे।
लाएँ 'शुभम' तुरंत,
अगर झाड़ू जो टूटे।।3
झाड़ें मत जूठन कभी,
लेकर झाड़ू मीत।
लक्ष्मी का अपमान है,
उचित नहीं ये रीत।।
उचित नहीं ये रीत,
न लाँघें झाड़ू घर की।
पैर नहीं छू जाय,
नीति हो ये घर भर की।।
'शुभम' न देखे गैर,
नहीं निज कर से फाड़ें।
खाद्य - वस्तु को दूर,
रखें जब घर में झाड़ें।।4
नीचे बिस्तर के कभी,
रखें न झाड़ू मीत।
पति - पत्नी संबंध में,
पड़े खलल ये नीत।।
पड़े खलल ये नीत,
कलह घर में हो जाती।
बढ़ता व्यर्थ विरोध,
विषमता बनती घाती।।
'शुभम' रखोगे ध्यान,
नेह, ममता, धन सींचे।
चाहो घर में प्यार,
न रखना बिस्तर नीचे।।5
💐 शुभमस्तु !
27.05.2020◆11.00अप.
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