मंगलवार, 26 मई 2020

🤺🎠 महाराणा प्रताप 🤺🎠 [ बालगीत ]


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 🙏🌷शब्दकार ©
🎠 डॉ. भगवत स्वरूप' शुभम'
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राणा -   सा   मैं   वीर बनूँगा।
छत्रसाल  -  सा धीर   बनूँगा।।

तलवारें जो खन खन करतीं।
जोश    जवानों में जो भरतीं।।
वैसी   ही   शमशीर    बनूँगा। 
राणा    - सा   मैं वीर  बनूँगा।।

सुनकर   नाम  मुग़ल थर्राते।
अकबर    जैसे शीश झुकाते।।
मैं     ऐसा    रणधीर  बनूँगा।
राणा -  सा  मैं  वीर बनूँगा।।

चेतक   पर सवार जो रहता।
सदा     हवा से बातें कहता।।
निर्धन   का   मैं पीर  बनूँगा।
राणा  -  सा मैं वीर बनूँगा।।

घास  -  पात  की  रोटी खाते।
देश धर्म हित बलि बलि जाते।
भारत     की   तक़दीर  बनूँगा।
राणा  -   सा मैं   वीर बनूँगा।।

राजपूत       हों     या   बुंदेले।
यहाँ     खून  की होली खेले।।
मैं    कमान  का   तीर बनूँगा।
राणा -  सा   मैं वीर बनूँगा।।

🙏🌷शुभमस्तु !

25.05.2020 ◆3.15अपराह्न।

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