शुक्रवार, 15 मई 2020

ग़ज़ल


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✍ शब्दकार ©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप' शुभम'
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माँ का शीतल पावन आँचल।
तपते दिन का सावन आँचल।

दुख में  हर पल धैर्य  बँधाता ,
माँ का कोमल वामन आँचल।

नौ  का वह  है सुगम पहाड़ा ,
प्यारा समतल उपवन आँचल।

तप में प्रकाश  का  सूर्य दिव्य,
जीवन-पट का फागुन आँचल।

संतति का  सुदृढ़ सहारा नित,
रक्षक  निर्मल भावन आँचल।

जन    की   मर्यादा  है अपार,
निस्वार्थ   भरा दामन आँचल।

माँ की ममता है 'शुभम'अमर,
होता सदा   सुभावन आँचल।

💐 शुभमस्तु !

09.05.2020◆4.30 अप.

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