बुधवार, 20 मई 2020

आओ पर्यावरण सुधारें:2 [ गीत ]


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✍शब्दकार©
🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आओ    पर्यावरण   सुधारें।।
स्वयं तरें   सारा  जग तारें।।

नीला  अम्बर  दिखता काला।
अनगिन वाहन धूम निकाला।
कभी  नहीं हम  हिम्मत  हारें।
आओ      पर्यावरण    सुधारें।।

कृत्रिम  मानव जीवन जीना।
सूख   न जाए  कहीं पसीना।।
लगी    कलों की कपट कतारें।
आओ     पर्यावरण   सुधारें।।

बचपन    बूढ़ा - सा दिखता है।
बूढ़ा     कूड़ा - सा  लगता  है।।
पहले अपना स्वास्थ्य विचारें।
आओ     पर्यावरण      सुधारें।।

स्वयं  जाग  सबको जगवाएँ।
थल से   अंबर  शुद्ध   कराएँ।।
स्वच्छ  वायु फुफ्फुस में धारें।
आओ       पर्यावरण   सुधारें।।

पेड़   लगाकर   धरा   बचाएँ।
वर्षा    से   फ़सलें    लहराएँ।।
फूटें      दूध   दही   की  धारें।
आओ      पर्यावरण   सुधारें।।

काट रहा वन पादप मानव।
स्वयं बना  है मानव दानव।।
बनावटी   जीवन      संहारें।
आओ  पर्यावरण    सुधारें।।

प्रकृति  के  सँग सीखें रहना।
गंगा   सा हो निश्छल बहना।।
'शुभम' आज निज आज सँवारें।
आओ      पर्यावरण    सुधारें।।

💐शुभमस्तु !

18.05.2020 ◆9.15 अप.

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