गुरुवार, 7 मई 2020

आँधी [ कुंडलिया ]


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विधान:कुंडलिया छंद मात्रिक होता है।
इसमें पहले दोहा के दो चरण और बाद
 में      रोला   के   चार    चरण होते हैं।
छः            चरणों    के       इस  छंद में
 प्रत्येक             चरण     में   24 मात्राएँ 
होती            हैं,      किन्तु मात्राओं का
 क्रम      सभी         चरणों  में समान 
नहीं होता।
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✍ शब्दकार©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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 आँधी          थोड़ी     देर की ,
करती        बड़ा       विनाश।
छप्पर     गिरते    भूमि   पर,
नभ      में     घटे  प्रकाश।।
नभ        में     घटे  प्रकाश,
'पाट        चौखट    से लड़ते।
टप -    टप   गिरते  आम,
बगूले      नभ    में   उड़ते।।
'शुभम'          नदी    में नाव,
उलटतीं ,     तट    पर बाँधी।
थर       -   थर     डाँवाडोल,
चली   जब      भारी आँधी।।1।

आँधी       की   आँखें   नहीं ,
देखे         पास     न    दूर।
जो      भी   आता   राह  में,
उसे         मिलाती     धूर।।
उसे         मिलाती      धूर,
विटप      घर  खेत  उजाड़े।
बनी      ग्रीष्म    में     शूर,
शांत     जब    होते   जाड़े।।
'शुभम'       न     कोई   सीम,
नहीं           मर्यादा     बाँधी।
गिरते         खम्भे     नीड़ ,
चली        जोरों  की आँधी।।2।

आँधी  जब    आती कहीं,
नीरवता             आसन्न।
पत्ता  तक   हिलता  नहीं,
शांत     घण्टिका    खन्न।।
शांत     घण्टिका    खन्न,
समझ   जाते नर -  नारी।
करते     सब     अवधान,
निकट  है  विपदा   भारी।।
'शुभम'  छिपे   निज  धाम,
गाय    खूँटे     पर    बाँधी।
लेती      पवन       हिलोर,
चली   जब भारी आँधी।।3।

आँधी      आई    जोर    की,
बैठो      सब   निज    धाम।
बाहर       मत   जाना   कहीं,
हुई       सुबह    की   शाम।।
हुई       सुबह    की    शाम,
झकोरे       भरता      पानी।
अब      न       उड़ेगी     धूल ,
उड़ेंगे        छप्पर -   छानी।।
'शुभम'         बगूले       मंद ,
उड़      रहे       सीमा   बाँधी।
अम्बर           छाए      मेघ,
सरर  - सर   चलती आँधी।।4।

आँधी        चलती  है    तभी ,
जब        बढ़ता    है    ताप।
कम        दवाब   हो वायु का,
नीरवता           हो     आप।।
नीरवता          हो        आप,
शीत         क्षेत्रों    से  आती।
तेज         हवा   की     बाढ़ ,
आँधियाँ          ही    कहलाती।।
'शुभम'        उड़ाती      धूल ,
वृष्टि    विद्युत  कब    बाँधी?
प्रायः       जब   हो     ग्रीष्म , 
चला       करती  है  आँधी।।5।

💐 शुभमस्तु !

06.05.2020 ◆9.00पूर्वाह्न

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