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✍ शब्दकार©
🌹 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मैं शीतल सुगंध से जाया।
इसीलिए तरबूज़ कहाया।।
लाल रंग, जल से भरपूर।
गर्मी, लू सब करता दूर।।
मीठा ठंडा गूदा लाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।।
रक्त चाप को करे संतुलित।
भरे हुए हैं गुण भी अतुलित।।
मोटापा भी दूर भगाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।।
शीश - वेदना को मैं हरता।
लोहा और विटामिन भरता।।
ए बी सी का स्रोत कहाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।।
भारत ने मुझको जन्माया।
मोडकिया एक गाँव बताया।।
जिला जोधपुर में मैं छाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।
कोई कहता मुझे मतेरा।
हदवाना हरियाणा मेरा।।
नर- नारी को बहुत सुहाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।।
तरबूजे से त्वचा चमकती।
जल की कमी दूर भी करती।।
ग्लूकोज का स्रोत कहाया।
मैं शीतल सुगंध से जाया।।
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