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✍ शब्दकार©
🙊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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वाहन होता शर्त का,
'लेकिन' का यह शब्द।
वरन, किन्तु कहला रहा, .
अव्यय सदा निशब्द।।1।
एक वाक्य की योजना,
के विरुद्ध यह शब्द।
इतर वाक्य रचता 'शुभम',
लेकिन अब्द निशब्द।।2।
लेकिन किन्तु परन्तु वर,
इसके सारे रूप।
कभी वरन कहते इसे,
शब्दों की नवधूप।।3।
रूप मधुरता से भरा,
लेकिन कर्कश बोल।
ज्यों कौवा कोकिल सदृश,
चोंच रहा हो खोल।।4।
ब्याह रचा पूड़ी खिला,
रहना छः फुट दूर।
लेकिन दैहिक दूरियाँ,
सुखदाई भरपूर।।5।
शुक जैसी नासा सुघर,
लेकिन पिचके गाल।
नाक बताती उच्च पद,
तेरे सुख का हाल।।6।।
भोला भाला रूप है,
सेत बगबगा वेश।
लेकिन शोषक गिद्ध-सा, .
श्याम खिजाबी केश।।7।
नभ में काले मेघ हैं,
लेकिन नीर विहीन।
हम सब भय से भीत हैं,
मुख भी शुष्क मलीन।।8।
माँ के आँचल में छिपा,
लेकिन बहुत अधीर।
शिशु नन्हा दो माह का,
ढूँढ़ रहा है क्षीर।।9।
तुकबंदी में निपुण हैं,
नाम संग उपनाम।
लेकिन प्रकृति विरुद्ध वे,
सित को करते श्याम।।10।
करें समीक्षा काव्य की,
लेकिन गिनें न दोष।
मात्र सराहें काव्यगुण,
उठे अन्यथा रोष।।11।
कवि बस सुनना चाहते,
झर - झर झरते फूल।
लेकिन दोष न देखना ,
उनकी कड़वी भूल।।12।
उलटा - सीधा कुछ लिखें,
कह दें खुशबूदार।
लेकिन भाव न शिल्प के,
बतला दोष हजार।।13।
तुकबंदी बिन भाव की,
शिल्प भरे घट नीर।
किन्तु आप कविता कहें,
उनको सूर कबीर।।14।
नाम - 'कामिनी' 'भव्यता',
लेकिन सब विपरीत।
काँव - काँव से बोल हैं,
नहीं जानती प्रीत।।15।
💐 शुभमस्तु !
20.05.2020◆7.30 पूर्वाह्न।
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